उज्जैन जिले में तहसीलदार के फर्जी सील और साईन से कई गांवों में जारी हो गए बीपीएल कार्ड जब यह गोरखधंधे की जानकारी एसडीएम को लगी तो तत्काल पूरे मामले में जांच के आदेश दिए गए । काफी समय से चल रहे इस फर्जीवाड़े कि अभी तक शिकायत नहीं हुई और कौन लोग इसमें शामिल है इसी पूरी जांच के बाद पुलिस एफआईआर भी कराई जाएगी ।
उज्जैन जिले के माकड़ोन तहसील के ग्रामों में बीपीएल कार्ड के नाम पर गोरख धंधा चल रहा था पूरे मामले की जानकारी 20 अप्रैल को तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी एकता जायसवाल को मिली की बड़ी संख्या में बीपीएल कार्ड जारी किए जा रहे हैं। अनुविभागीय अधिकारी ने आश्चर्य व्यक्त किया कि इतनी बड़ी संख्या में बीपीएल जारी करने का प्रश्न ही नहीं पैदा होता राजस्व अधिकारियों को बहुत सूक्ष्म जांच कर स्वयं परीक्षण के बाद बीपीएल जारी करने के निर्देश हैं ऐसे में किसी भी गांव में बड़ी संख्या में अगर बीपीएल जारी किए जा रहे हैं तो वह जांच का विषय है उसके बाद उन्होंने जनपद पंचायत की बीपीएल शाखा से अमित दीक्षित से चर्चा के बाद बीपीएल के आदेशों की जांच की उसमें प्रथम दृष्टया उन्हें फर्जीवाड़े की शंका हुई उनके द्वारा जनपद पंचायत की बीपीएल शाखा से रिकॉर्ड जप्त कर उसकी जांच की तहसीलदार अनिरुद्ध पाराशर से भी जांच करवाई गई जिसमें यह खुलासा हुआ कि जो बीपीएल कार्ड जारी हुए हैं वह फर्जी है और इस पर तहसीलदार के हस्ताक्षर हैं वह फर्जी तरीके से बनाए गए हैं सील भी नकली लगी हुई है। इस संबंध में तहसीलदार माकड़ोन को जांच के निर्देश भी दिए गए शीघ्र ही इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज की जावेगी।
अनुविभागीय अधिकारी से चर्चा में उनके द्वारा बताया की माकड़ोन तहसील के ग्राम खेड़ा चितावलिया, पचोला , गुंदलडिया , कतवारिया में फर्जी बीपीएल बनाने का धंधा पकड़ा है जिसमें से खेड़ा चितावलिया में अधिक राशन कार्ड बने हैं सबसे अधिक बीपीएल गांव खेड़ाचितावलिया के मिले जिसमें एक ही परिवार की तीन व्यक्तियों की बीपीएल बना दिए गए हैं ।

जनपद पंचायत में जांच करने पर सीईओ डॉली श्रीवास्तव ने बताया कि यह आदेश उन्हें डायरेक्ट व्यक्ति ने ला कर दिए जिसे उन्होंने मार्क करके बीपीएल शाखा में भेज दी है उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि दिए जा रहे आदेश फर्जी है तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी एकता जायसवाल ने जनपद को निर्देशित किया एवं पत्र भी जारी किया कि कोई भी आदेश जो न्यायालय से जारी होता है वह न्यायालय के आदेश पर ही  संबंधित को भेजा जाता है प्रत्यक्ष रूप से इस प्रकार के आदेश प्राप्त कर उसे बीपीएल मान लेना एक गंभीर त्रुटि है ।
ग्रामीण क्षेत्र के बीपीएल जारी करने के लिए तहसीलदार अधिकृत होते हैं लोक सेवा गारंटी के माध्यम से तहसीलदार को आवेदन होते हैं जिस पर पटवारी और सचिव द्वारा जांच कर तहसीलदार को प्रतिवेदन दिया जाता है उसके बाद तहसीलदार उसे जारी कर उस जारी आदेश की प्रति जनपद पंचायत को भेजते हैं सोचने वाली बात यह है कि जनपद पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने आदेशों को प्राप्त भी कर लिया उसे बीपीएल शाखा में भेज भी दिया और बीपीएल शाखा ने उन्हें पर्ची भी जारी करके उसे ऑनलाइन बना भी दिया ज्यादातर मामले मार्च और अप्रैल 2023 के हैं ।
फर्जी बीपीएल में किसी प्रकार के कोई आवेदन लोक सेवा में नहीं किए गए तहसीलदार द्वारा पटवारी से रिपोर्ट लेकर कोई आदेश नहीं किए गए ना ही कोई आदेश जनपद में  पहुंचाए गए ।