जीआई टैग मिलने की रेस में मध्यप्रदेश लगातार आगे बढ़ता जा रहा है। इसी कड़ी में अब उज्जैन के भैरवगढ़ ‘बाटिक प्रिंट’ को जीआई टैग हांसिल हुआ है । मोम को पिघलाकर कपड़ों पर एक खास तरह की प्रिंटिंग की जाती है, जिसे बाटिक प्रिंट कहा जाता है। ये कारीगरी हाथ से की जाती है. इंडोनेशिया-जावा के बाटिक को सबसे प्राचीन माना जाता है लेकिन अब उज्जैन को इसका जीआई टैग मिल चुका है ।
भैरवगढ़ बाटिक प्रिंटिंग उज्जैन ही नहीं बल्कि दूर-दूर तक बहुत प्रसिद्ध है। उज्जैन के भैरवगढ़ में बाटिक प्रिंटिंग की जाती है. चादरों, कपड़ों और ड्रेस सामग्रियों पर इस तरह का खास प्रिंट किया जाता है. देश में उज्जैन बाटिक प्रिंट के लिए मशहूर है। उज्जैन में इस तकनीक का इस्तेमाल कई वर्षों से किया जा रहा है । ऐसी प्रिंटिंग के जरिए कपड़ों को सजाकर खूबसूरत बनाया जाता है ।
उज्जैन भैरवगढ़ प्रिंट को जी आई टैग मिलने पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव, उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया और जनप्रतिनिधियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से बधाई देते हुए कहा कि उज्जैन के “बाटिक प्रिंट” को ‘GI टैग’ मिलना हम सबके लिए गर्व एवं आनंद का विषय है। इस गौरवपूर्ण उपलब्धि के लिए सभी कलाकारों एवं उज्जैनवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ।
यह टैग मिलने से ना केवल हमारे कलाकारों एवं उज्जैन को नयी पहचान मिली है, बल्कि समृद्धि का एक नया मार्ग भी प्रशस्त हुआ है।
वाणिज्य मंत्रालय के इंडस्ट्री प्रमोशन एडं इंटरनल ट्रेड ने प्रदेश के 6 हस्त शिल्प उत्पादों डिंडौरी की गोंड पेंटिंग, ग्वालियर का कार्पेट, उज्जैन भैरवगढ़ की बाटिक प्रिंट, भेड़ाघाट का स्टोन क्राफ्ट, बालाघाट की वारासिवनी की साड़ी और रीवा के सुंदरजा आम को जीआई टैग दिया गया है।
GI Tag किसी भी रीजन का जो क्षेत्रीय उत्पाद होता है उससे उस क्षेत्र की पहचान होती है। उस उत्पाद की ख्याति जब देश-दुनिया में फैलती है तो उसे प्रमाणित करने के लिए एक प्रक्रिया होती है जिसे जीआई टैग यानी जीओ ग्राफिकल इंडीकेटर (Geographical Indications) कहते हैं।