वैशाख कृष्ण प्रतिपदा 7 अप्रैल शुक्रवार से महाकाल मंदिर में पंडित और पुजारी पूजन पाठ कर महाकाल के मस्तक के ऊपर ठंडे पानी की मटकियां धार्मिक नाम (गलंतिका) शिवलिंग के ऊपर बांधी जाएगी। कुल 11 मटकिया बांधी जाएगी इसमें से लगातार पानी शिवलिंग के मस्तक के ऊपर विसर्जित होता रहेगा । महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित महेश गुरु के अनुसार महाकाल को बंधने वाली मटकीयों में महाकाल मंदिर स्थित कोटि तीर्थ कुंड का जल भरा जाएगा माना जाता है कि कोटि तीर्थ कुंड में देश की समस्त पवित्र नदियों का जल प्रवाहित होता है। प्रतिदिन भगवान महाकाल भी इसी जल से स्नान करते हैं ।
गर्मी में शिव के ऊपर ठंडे जल की मटकिया बांधने का यह है धार्मिक महत्व ।
🔆– वैशाख मास पर शिवलिंग के ऊपर गलंतिका बांधने की कथा शिव पुराण के अनुसार।
महाकाल मंदिर के पुजारी महेश गुरु ने बताया कि भगवान शिव में अधिक उष्णता है, वह तप में लीन रहते हैं, त्रिनेत्र धारी हैं विषपान उन्होंने किया है।
समुद्र मंथन के समय जब अमृत के साथ खतरनाक विष निकला जिसके कारण पृथ्वी पर जीवन समाप्त हो सकता था। तब पृथ्वी को संकट से बचाने के लिए उस विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण कर लिया। विष के प्रभाव को शांत रखने के लिए शिवलिंग पर जल का अभिषेक किया जाता है। यह माना जाता है कि वैशाख मास में विष की उष्णता अत्यंत अधिक हो जाती है इसलिए शिवलिंग के मस्तक पर गलंतिका बांधकर नियमित रूप से जल धारा प्रवाहित की जाती । भगवान शिव की उष्णता शांत रखने के लिए ही शिव के मस्तक से गंगा प्रवाहित हुई है ।