पिछले दिनों एक श्रद्धालु वृद्ध महिला रुपए ना होने के कारण गर्भ गृह में जल चढ़ाने के लिए हंगामा मचा चुकी है ।
स्वस्तिक पीठ के पीठाधीश्वर क्रांतिकारी सन्त डॉ अवधेशपुरी जी महाराज ने कहा कि मैं किसी सरकार या वयवस्था का विरोधी नहीं हूँ, किंतु महाकाल के भक्तों की पीड़ा एवं संघर्ष को देखकर एक सन्त होने के नाते एक सुझाव के रूप में कहना चाहता हूँ कि , सरकार अपने हृदय पर हाथ रखकर सोचे कि क्या भांजे और भांजियों को 5 किलो राशन देकर उन से या गरीब परिवारों से महाकाल पर जल चढ़ाने का प्रत्येक श्रद्धालु ₹750 रुपए टैक्स लगाना क्या उचित है ? एक गरीब परिवार रुपए देकर मंदिरों के दर्शन कैसे कर पाएगा ? हाँ मेरा एक सुझाव है कि यदि दर्शन टैक्स से ही खजाना भरना है तो अधिकारियों से, नेताओं से मंत्रियों से देशभर के धनाढ्य लोगों से महाकाल के अभिषेक के निमित्त रुपया या चेक ले महाकाल प्रबन्ध समिति क्योंकि ये सभी समर्थ हैं इन पर कोई प्रभाव भी नहीं पड़ेगा एवं महाकाल प्रबन्ध समिति का खजाना भी भर जएगा । गरीब भक्तों से दर्शन टैक्स के नाम पर उनको महाकाल के दर्शन से दूर कर उनके संवैधानिक मूल अधिकार धार्मिक स्वतंत्रता को न छीनें । भक्तों में छोटे बड़े का भेदभाव पैदा न करें ।
महाराजश्री ने आगे कहा कि महाकाल का वीआईपी भक्त कौन है यह तय करने वाले हम कौन हैं ? ये अधिकार तो सिर्फ भगवान महाकाल का है कि उनका प्रिय एवं प्रमुख सम्मानित भक्त कौन है । 1500 करोड़ रुपए खर्च करने पर भी एक ऐसा रास्ता क्यों नहीं बना पाए कि सभी श्रद्धालु एक रास्ते से अंदर आते तथा दूसरे से बाहर निकल जाते । भीड़ कम होती तो अंदर से दर्शन करा देते अधिक होती तो बाहर से दर्शन करा देते ।लेकिन भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए यह सरल रास्ता ना बनाकर जलेबी की तरह बना दिया । हिन्दू श्रद्धालुओं के अधिकारों के साथ यह असंवैधानिक खिलवाड़ एवं क्रूर मजाक अब बन्द होना चाहिए ।
श्री महाकाल नियमित दर्शन भोग आरती संगठन के वार्षिक सभा एवं सम्मान समारोह में आयोजित कार्यक्रम में विधायक पारस जैन सहित शहर के अन्य जनप्रतिनिधियों के सामने महाराज श्री ने यह बात खुल कर रखी ।
सुनिए क्या कहा महाराज श्री ने ।