नव संवत् 2080 की शुरुआत बुधवार को शिप्रा नदी किनारे रामघाट पर ध्वजा पूजन और शंख बजाकर की गई। सुबह सूर्य को अर्घ्य देकर उगते सूरज का पूजन कर विक्रम संवत के नए वर्ष की शुरुआत की। हिन्दू मान्यता के अनुसार गुड़ी पड़वा से नव वर्ष का आगाज होता है हर साल चैत्र प्रतिप्रदा तिथि से नया विक्रम संवत् शुरू होता है।
आज गुड़ी पड़वा हिंदू नव वर्ष के दिन कड़वा नीम खाने की प्रथा प्राचीन है। उज्जैन में भी कई स्थानों पर प्रसाद के रूप में कड़वा नीम और मिश्री दी जाती है। कई स्थानों पर नीम का जूस पिलाया जाता है। उज्जैन में आज नीम का जूस कई स्थानों पर पिलाया गया ।
क्यों आज के दिन खिलाया जाता है नीम ।
चैत्र नवरात्रि दो ऋतुओं (शीत और ग्रीष्म) के संधिकाल में आती है। इस समय शरीर की इम्युनिटी पॉवर आमतौर पर थोड़ी कम होती है, जिसके कारण वायरस से संबंधित बीमारियां होने का खतरा बना रहता है।
– गुड़ी पड़वा पर या चैत्र नवरात्रि के दौरान यदि नीम की पत्तियों का या जूस का सेवन किया जाए तो इम्युनिटी पॉवर बढ़ता है, जिससे हमें रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है।
– आयुर्वेद में नीम को कई बीमारियों के लिए रामबाण माना गया है। इसकी पत्तियों का सीमित मात्रा में सेवन किया जाए तो मौसमी बीमारियां, स्किन संबंधी समस्याएं, कफ आदि में लाभ मिलता है।
– नीम में प्रोटीन, वसा, तत्व जैसे कैल्शियम, विटामिन ए और सी आदि होते हैं।
– ये सभी तत्व हमें बीमार करने वाले रोगाणुओं की रोकथाम करते हैं। हमारी इम्युनिटी बढ़ाते हैं, जिससे वायरल बुखार से लड़ने की शक्ति शरीर को मिलती है।
– ऋतुओं का संधिकाल होने की वजह से इन बीमारियों से बचाव हो सके, इसलिए नीम का सेवन करने की परंपरा प्रचलित है।
– इन दिनों में शरीर स्वस्थ रहेगा तो पूजा-पाठ में किसी तरह की परेशानी नहीं आएगी।
– यही कारण है कि हमारे बुजुर्गों और ऋषि-मुनियों ने गुड़ी पड़वा पर नीम की पत्तियां खाने की परंपरा बनाई।