इंदौर के रहने वाले 27 साल के एक युवक की दो सगे भाइयों ने उज्जैन में हत्या कर दी। फिर कार में लाश लेकर करीब तीन घंटे तक घूमते रहे। सवा सौ किमी चलने के बाद पुलिस नजर आई, तो राजगढ़ जिला स्थित नेशनल हाईवे उदनखेड़ी टोल प्लाजा के पास कार छोड़कर भाग निकले। पुलिस ने कार की डिक्की खोली, तो उसमें लाश मिली। गाड़ी में लगे जीपीएस, 10 से ज्यादा जगहों के सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद पुलिस ने कडिय़ां जोड़ीं और 48 घंटे में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों ने सिर्फ 300 रुपए के लिए इस हत्याकांड को अंजाम दिया था।
राजगढ़ पुलिस के अनुसार 26 नवंबर की रात इंदौर के रहने वाले मृतक ड्राइवर के भाई अमित शर्मा पिता कांता प्रसाद शर्मा ने डायल-100 को सूचना दी थी कि जीपीएस में दिख रहा है कि उनकी गाड़ी शाजापुर मक्सी की तरफ जा रही है, जबकि उसे उज्जैन से इंदौर आना था। पुलिस टीम ने उदनखेड़ी टोल पर कार को अमित ने अनहोनी की आशंका से डायल-100 पर कॉल किया। पचोर पुलिस ने उदनखेड़ी टोल के पास कार को रोकने की कोशिश की। खुद को पुलिस से घिरा हुआ देखकर आरोपियों ने गाड़ी को तेजी से टोल से निकाला। कुछ दूर ले जाकर कार को सड़क किनारे खड़ा कर भाग गए।
राजगढ़ नेशनल हाईवे पर पुलिस को कार की डिक्की से मिली थी लाश, पुलिस ने कार को जप्त कर हत्या के दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया है ।
—————————–
इस तरह घटा पूरा घटनाक्रम ।
पुलिस ने बताया कि आरोपी दीपक और उसका भाई रवि गोस्वामी किसी वाहन के कागजात लेने 25 नवम्बर को बस से इंदौर गये थे। वहां से उज्जैन जाने का प्लान बना तो एक प्राईवेट वाहन को 2200 रूपए में बुक किया। वहां से वह उज्जैन महाकाल मंदिर के लिये निकले थे। अंकित शर्मा गाडी चला रहा था, तभी हमने रास्ते से शराब ले ली और वाहन में ही पी। इसके बाद हम उज्जैन पहुंच गए। वहां महाकाल मंदिर के पास पार्किंग में गाडी लगाकर हमने वहां भी शराब पी। तभी अंकित ने किराये के 2500 रुपए मांगे और हम 2200 रुपए पर अड़े हुए थे।
इसी बीच लेनदेन को लेकर वाहन चालक अंकित और मेरे भाई रवि गोस्वामी में कहासुनी हो गई और वे आपस में मारपीट करने लगे। तभी मैंने अंकित के दोनों हाथ पकड लिये और मेरे भाई रवि गोस्वामी ने अंकित का गला दबा दिया और अंकित अचेत हो गया। हमने गाडी में ही रखे शॉल को फाडकर उसके गले में लपेट कर उसे मार डाला और उसकी लाश को गाडी की पिछली सीट में पटककर उसकी गाडी को उज्जैन से राजगढ की तरफ लेकर भाग गए।
शाजापुर और मक्सी के बीच पहुंचकर हमने अंकित की लाश को गाडी की डिक्की में डाल दिया और उसके दोनों मोबाईल को बंद कर दिया। उसके पर्स और मोबाईल को रास्ते में कहीं फेंक दिया, फिर हम सारंगपुर से आगे आकर टोल पर पहुंचे तो एक पुलिस वाले ने हमें हाथ देकर रोका। मैं बहुत डर गया और मैंने गाडी को बैक करके वहां से भगाकर टोल से कुछ दूर सड़क किनारे रोका। जहां से मैं और मेरा भाई वहां से भाग गये।